किसी व्यक्ति, विचार, भावना या वस्तु के प्रति आदर और मान्यता प्रकट करना। यह केवल बाहरी व्यवहार नहीं होता, बल्कि यह हमारे अंदर की सोच और मानसिकता को भी दर्शाता है।
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Self respect आत्मसम्मान 

Self respect आत्मसम्मान

सम्मान

(Self respect) सम्मान एक ऐसा गुण है जो न केवल व्यक्ति के चरित्र को दर्शाता है, बल्कि समाज में उसके स्थान को भी निर्धारित करता है। यह एक नैतिक मूल्य है जो हर रिश्ते और सामाजिक व्यवस्था की नींव होता है। सम्मान देना और पाना, दोनों ही मनुष्य के जीवन को संतुलित और सार्थक बनाते हैं। 

 

सम्मान का अर्थ

सम्मान का सरल अर्थ है – किसी व्यक्ति, विचार, भावना या वस्तु के प्रति आदर और मान्यता प्रकट करना। यह केवल बाहरी व्यवहार नहीं होता, बल्कि यह हमारे अंदर की सोच और मानसिकता को भी दर्शाता है। जब हम किसी व्यक्ति की बातों, कार्यों या भावनाओं को महत्व देते हैं, तो हम उसे सम्मान दे रहे होते हैं।

सम्मान का महत्व

सम्मान का महत्व जीवन के हर क्षेत्र में है। परिवार हो, विद्यालय हो, कार्यस्थल हो या समाज – हर स्थान पर सम्मान की आवश्यकता होती है। बच्चों को अपने माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे उनके मार्गदर्शक होते हैं। माता-पिता को भी अपने बच्चों की भावनाओं और विचारों का सम्मान करना चाहिए, ताकि उनके आत्मविश्वास का विकास हो सके।

विद्यालयों में शिक्षकों का सम्मान करना विद्यार्थियों का कर्तव्य है, क्योंकि वे शिक्षा के माध्यम से उनका भविष्य गढ़ते हैं। वहीं शिक्षक भी यदि विद्यार्थियों के विचारों और प्रश्नों का आदर करें, तो शिक्षा का वातावरण और भी सकारात्मक बनता है।

स्वसम्मान (Self-respect)

सम्मान केवल दूसरों को देने की चीज नहीं है, यह खुद को भी देना चाहिए। स्वसम्मान का अर्थ है – स्वयं के आत्ममूल्य को समझना और उसकी रक्षा करना। एक ऐसा व्यक्ति जो स्वयं को सम्मान नहीं देता, वह दूसरों से भी सम्मान पाने में असफल रहता है। आत्म-सम्मान हमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता प्रदान करता है।

सम्मान और विनम्रता का संबंध

विनम्रता और सम्मान एक-दूसरे के पूरक हैं। जब हम दूसरों के प्रति विनम्र रहते हैं, तो अनायास ही उन्हें सम्मान देते हैं। अहंकार, अभिमान और कठोर व्यवहार न केवल सम्मान को दूर करता है, बल्कि रिश्तों को भी नुकसान पहुँचाता है। विनम्र व्यवहार से हम न केवल दूसरों का दिल जीतते हैं, बल्कि अपने व्यक्तित्व को भी श्रेष्ठ बनाते हैं।

सम्मान अर्जित किया जाता है। 

सम्मान किसी को केवल पद, धन या उम्र के कारण नहीं मिल सकता। यह उसके कर्मों, व्यवहार और सोच से अर्जित किया जाता है। एक सच्चा, ईमानदार और दूसरों के लिए सहानुभूति रखने वाला व्यक्ति समाज में स्वतः ही सम्मानित होता है। वहीं जो लोग दूसरों को नीचा दिखाकर, झूठ बोलकर या गलत साधनों से आगे बढ़ते हैं, वे चाहे जितने भी सफल हों, उन्हें सच्चा सम्मान नहीं मिलता।

सम्मान की कमी के दुष्परिणाम  (self respect)

जहाँ सम्मान नहीं होता, वहाँ रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। परिवार में अगर सदस्य एक-दूसरे का सम्मान नहीं करते, तो वहाँ कलह और दूरियाँ बढ़ जाती हैं। समाज में भी यदि व्यक्ति एक-दूसरे का सम्मान करना छोड़ दें, तो असहिष्णुता, भेदभाव और संघर्ष उत्पन्न हो जाता है। यही कारण है कि किसी भी विकसित समाज की पहचान उसके नागरिकों के बीच आपसी सम्मान पर निर्भर करती है।

आज के डिजिटल युग में जहाँ सोशल मीडिया, ऑनलाइन संवाद और वर्चुअल रिश्ते बढ़ रहे हैं,

डिजिटल युग में सम्मान

आज के डिजिटल युग में जहाँ सोशल मीडिया, ऑनलाइन संवाद और वर्चुअल रिश्ते बढ़ रहे हैं, वहाँ सम्मान की भावना और अधिक आवश्यक हो गई है। ऑनलाइन दुनिया में अक्सर लोग बिना सोच-समझे टिप्पणी कर देते हैं, जिससे दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचती है। हमें यह याद रखना चाहिए कि सम्मान केवल आमने-सामने मिलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे हर व्यवहार, हर शब्द और हर ऑनलाइन गतिविधि में झलकना चाहिए।

निष्कर्ष

अंततः, सम्मान एक ऐसा अमूल्य गुण है जो मनुष्य को महान बनाता है। यह समाज को जोड़ता है, रिश्तों को गहराता है और व्यक्ति को आत्मबल प्रदान करता है। हमें न केवल दूसरों को सम्मान देना चाहिए, बल्कि स्वयं का भी सम्मान करना चाहिए। यदि हम एक ऐसा समाज बनाना चाहते हैं जो स्नेह, सद्भाव और सहयोग से भरा हो, तो हमें “सम्मान” को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाना होगा।।

ps://hi.wikipedia.org

https://udaan1008.com/honesty-best-policy-2/

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